Life is a Dream...
Saturday, April 3, 2010
सबसे करीब हो कर भी सबसे दूर है
पास हो कर भी कितनी मजबूर है
मन करता है तुझसे बात करूँ मैं
अपने दुःख दर्द कहूँ मैं
पर तू तो सिर्फ दिन दिन की साथी है
अँधेरे तले छुप जाती है
शायद ज़िन्दगी का दस्तूर है ये
इनमे परछाइयों का क्या कसूर है||
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