क्या तुम्हे एहसास है की तुमको पाकर खुद को भूल गयी थी मैं
तुम्हारे रंग में कुछ इस तरह रंग गयी थी मैं
सिमट गयी थी पूरी दुनिया तुम तक मेरी
तुम्हारी बातों में कुछ इसी तरह से खो गयी थी मैं
क्या तुम्हे एहसास है की मैंने अपने आँचल में सिर्फ तुम्हारे ख्वाब संजोये थे
सपनो की दुनिया में बस इसी तरह सोई थी मैं
बस एक ही तमन्ना थी इस दिल में
की तुम्हारे सारे ख्वाब पूरे कर देती
खबर तक न लगी मुझे कब तुम अकेला कर गए
हज़ार वादे कर के तुम क्यों ऐसे दगा दे गए
ज़िन्दगी इतनी खाली तो कभी नहीं जान पड़ती थी
सावन में सारे फूल पतझड़ से मुरझा गए
अब जब कुछ बाकी नहीं बचा है तुम्हे देने को
तो तुम क्यों मुझसे मेरी यादें मांग रहे हो
ज़िन्दगी जीने का आखिरी बहाना मांग रहे हो
अब सिर्फ इनमे ही तो बस्ती है baatein तुम्हारी
Sunday, March 28, 2010
Saturday, March 27, 2010
It has been a while since i laughed out aloud
It has been a while since i smiled from my heart
It has been long time, I've been missing the sparkle of my eyes
My reflection in the Mirror tries to locate that lost child in me
And I am still waiting for you to send my Smile...My Sparkle...My Soul...back to me
It has been a while since i smiled from my heart
It has been long time, I've been missing the sparkle of my eyes
My reflection in the Mirror tries to locate that lost child in me
And I am still waiting for you to send my Smile...My Sparkle...My Soul...back to me
And the journey begins...
Here I am...and indeed very glad to be here...this is the world of the most creative thoughts flowing from 360 degrees...a beautiful world where construtive minds come together to share the life...life of their dreams...hence i come with Life is a Dream...
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