आज फिर वही चाँद घिर आया है
फिर वही रात का अँधेरा छाया है
कल फिर वो ही सुबह आएगी
रोज़ की तरह सुनहरी धुप खिल जाएगी
सब पहले जैसा है आज भी
मगर फिर भी कुछ अलग है
मन में अनजानी खलिश है
आँखों में हलकी सी नमी है
रात भर उनसे मिलने की तमन्ना की
जब वो आये तो सारे सवाल आँखों में ही रुक गए
किस्मत बेहद कठिन है मेरी जानती हूँ मैं
बस आज एक करिश्मा देख लेना चाहती हूँ
जिसकी मोहब्बत में सब कुछ भुलाये बैठी हूँ
एक पल के लिए उन्हें इस तरह पाना चाहती हूँ
कि फिर कुछ और पाने कि तमन्ना न रहे
उनकी ही बाहों में ज़िन्दगी गुज़ार देना चाहती हूँ
Very nice !
ReplyDeleteI saw your blog ... its excellent.
Hope that the flow of such beautiful lines will be continuous. Best wishes from me.
Regards,
Shantanu Padhye
shantanu-padhye.blogspot.com