बातों ही बातों में फिर वही बात हो गयी
तन्हाइयों में बिखरी ये खामोशियाँ तेरी
पुरानी बातें कुछ भूल जाने को कहते हो
क्यों कुछ बातें आज भी जीना चाहते हो
सब जानते थे तुम की तन्हा थी मैं ज़िन्दगी में
आज तुम हो भी नहीं भी हो ज़िन्दगी में
फिर वही तार छिड़े हैं, फिर वही रात हो गयी
तन्हाइयों में बिखरी ये खामोशियाँ तेरी
मेरे इस दिल को बेचैन कर जाती हैं
अब भी कई सवाल हैं कहे अनकहे
तेरे जवाबों का इंतज़ार है दिल कोकहते तो तुम भी हो गुनाह नहीं है ये
क्यों फिर मुझे झूठी तसल्ली देते रहते हो
पुरानी बातें कुछ भूल जाने को कहते हो
क्यों कुछ बातें आज भी जीना चाहते हो
सब जानते थे तुम की तन्हा थी मैं ज़िन्दगी में
क्यों फिर तुम भी मुझे तन्हा कर चले गए
दो पल साथ चल मीलों दूर चले जाते हो
जीवन मेरा उथल पुथल करती लहरों सामान है
ये लहरें जिसे ढूँढती हैं वो शांत किनारा हो तुम