Monday, August 22, 2011

आज कुछ अजब सा है मन मेरा
थोड़ी कशिश थोड़ी बेचैनी भी है
लाखों अरमान जगे हैं दिल में
फिर भी कुछ कमी सी है

यहाँ अगर है लाल आकाश
तो वहां काली बदरा छाई है
मगर सावन की ठंडी हवा
तेरे गालों को सहलाकर मेरे गालों तक आई है

जो बाल तुम्हारे माथे को चूम रहे हैं
तो मेरे हाथों का ही वो इशारा है
जो पास नहीं हूँ मैं आज तेरे
तो हवाओं को ये खेल खिलाया है

अभी अभी एक पंख उड़कर आया कहीं से
क्यों लगता है तुमने सारा प्यार लुटाया है
मुझे छू कर गुज़री हवा तुम तक जब आएगी
मेरी बाहों के घेरे का एहसास करा जाएगी

नहीं समझ आता कितने फासले हैं नज़दीकी कितनी
दूर इतने जितना दूर है हमसे आकाश
या पास इतने जितना तुझे छूकर
मुझ तक आती ये ठंडी हवा 


1 comment:

  1. Nice :)...n this line is very romantic -जो बाल तुम्हारे माथे को चूम रहे हैं
    तो मेरे हाथों का ही वो इशारा है

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