दिल में जो हल्का दर्द उठा है
वो तुम्हे भी है मुझे भी
आंसू जो किसी बात पर छलके हैं
वो तेरे भी हैं मेरे भी
बात एक होठों पर पर आ ठहर गयी है
वो सुनी तू ने भी है मैंने भी
अनजान से इस रिश्ते को न जाने क्या कहते हैं
यही सवाल तेरे ज़हन में है मेरे भी
भूल सकती नहीं वो रात कभी
जब दिल पहली बार इस तरह धड़का था
खामोश से समंदर को जैसे
चांदनी रात की लहरों ने आ जकड़ा था
आँखें जो मुस्कुराती हैं मेरी
वो तेरी होठों की मुस्कान का आइना है
तेरी ख़ुशी से है हर ख़ुशी मेरी
कहते हैं मोहब्बत जिसे तुझे भी है मुझे भी
वो तुम्हे भी है मुझे भी
आंसू जो किसी बात पर छलके हैं
वो तेरे भी हैं मेरे भी
बात एक होठों पर पर आ ठहर गयी है
वो सुनी तू ने भी है मैंने भी
अनजान से इस रिश्ते को न जाने क्या कहते हैं
यही सवाल तेरे ज़हन में है मेरे भी
भूल सकती नहीं वो रात कभी
जब दिल पहली बार इस तरह धड़का था
खामोश से समंदर को जैसे
चांदनी रात की लहरों ने आ जकड़ा था
आँखें जो मुस्कुराती हैं मेरी
वो तेरी होठों की मुस्कान का आइना है
तेरी ख़ुशी से है हर ख़ुशी मेरी
कहते हैं मोहब्बत जिसे तुझे भी है मुझे भी
Its my favoritest poem :)
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