Monday, December 12, 2011

दिल में जो हल्का दर्द उठा है
वो तुम्हे भी है मुझे भी
आंसू जो किसी बात पर छलके हैं
वो तेरे भी हैं मेरे भी

बात एक होठों पर पर आ ठहर गयी है
वो सुनी तू ने भी है मैंने भी
अनजान से इस रिश्ते को न जाने क्या कहते हैं
यही सवाल तेरे ज़हन में है मेरे भी

भूल सकती नहीं वो रात कभी
जब दिल पहली बार इस तरह धड़का था
खामोश से समंदर को जैसे
चांदनी रात की लहरों ने आ जकड़ा था

आँखें जो मुस्कुराती हैं मेरी
वो तेरी होठों की मुस्कान का आइना है
तेरी ख़ुशी से है हर ख़ुशी मेरी
कहते हैं मोहब्बत जिसे तुझे भी है मुझे भी

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