Sunday, July 25, 2010

हर गुज़रते पल के साथ
तुम ये दावा करते हो कि मैं हूँ
मेरी हर टूटी उम्मीद पर
तुम वादा करते जाते हो कि मैं हूँ

कहाँ रह जाते हो तुम मगर
जब दिल को तुम्हारे साथ की ज़रूरत होती है
इन आँखों को किसी के एहसास की ज़रूरत होती है
तुम क्यों नज़र नहीं आते
जब ये खालीपन मुझे और भी वीरान कर जाता है
जिस वक़्त मुझे तुम्हारे सिवा कोई और नहीं समझ पाता

ऐसे वादे मत किया करो
जो निभाना न आये
मेरी मुरझाई हुई ज़िन्दगी को बेजान कर जाये
मैं ये एहसास करती हूँ
जब मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है
तब तुम्हे पूरी दुनिया की फ़िक्र होती है

शायद किसी दिन मैं भी तुम बिन जीना सीख लूं
बिना शिकायत साँसे लेकर ज़िन्दगी जी भी लूं
पर क्या वो खुशबू वापस आ पायेगी
उड़े हुए रंगों पर क्या बहार छा पायेगी????

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