Friday, July 30, 2010

आंसू न बहाना आँख से कि बादल बरस जायेगे
तुझे रोता हुआ देख कर वो भी तड़प जायेंगे
आंसू न बहाना आँख से बादल बरस जायेंगे

जो बीता हुआ कल है वो अपना नहीं
फिर क्यों कल की यादों में जीना
आने वाले कल के सपने सजा लो
बना लो उन्हें अपनी आँखों का गहना

ये अश्क नहीं हैं मोती हैं
इन्हें यूँ ज़ाया न कर
तेरा मन सुन्दर चितवन है
उसे ऐसे दुखाया न कर

बौछारें बहुत गिर पड़ी इस ज़मीन पर
नदियाँ सैलाब बन गयी हैं
अभी अभी तो थमे हैं बादल थोड़े
आंसू न बहाना आँख से फिर बादल बरस जायेंगे






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