Saturday, July 31, 2010

मुद्दतों से दिल में एक कसक सी है
आज इन आँखों को तुझे देखने की ललक सी है
सोचा था हमने जी लेंगे हम ऐसे ही
पर आज तुझसे एक मुलाकात की तड़प सी है

आज चांदनी रात में तुम मुझसे मिलने आ जाओ
दिल में जितनी बातें हैं सारी हमसे कह जाओ
फिर भी लबों को कहना कुछ न कहें
आँखों को आँखों से करने देना सारी बातें

अरसों से तुम को दिल में छुपाये बैठे हैं
तुझसे बिछड़ने के गम को सीने से लगाये बैठे हैं
फिर भी आज ये दर्द दबाये नहीं दबता
आँखों का एक भी अश्क रोके नहीं रुकता

बस एक बार के लिए तुम फिर से मिलने आ जाओ
बरसों तक फिर जीने की मन को हिम्मत दे जाओ
फिर न कभी बोलूगी फिर न कभी टोकूगी
जीवन के इस दर्द को हँसते हुए सह लूंगी









1 comment:

  1. U r caught in the wrong Job. Serioulsy this is exceptional work.

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