Thursday, July 29, 2010


मैं जानता हूँ की जिस हवा के झोंके ने मुझे छुआ है अभी अभी
उसने तुम्हे भी ज़रूर छुआ होगा,
ये चाँद की नरम ठंडक तुम्हारे गालों को अपना बिस्तर बना क बैठी होगी
ये बारिश की हलकी हलकी बूंदे, तुम्हारे बालों पर ओस की बूँद की तरह स्थिर होंगी
ये रात की कालिमा तुम्हारी आँखों की चमक से हार कर कहीं कोने में जा दुबकी होगी
ये क्या महक है तुम्हारी साँसों की, कि रात रानी के फूल भी शर्मा के खिल उठे हैं

देखो कहीं सो  न जाना, रात बहुत मुश्किल से जागी है आज  ||




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