Sunday, August 1, 2010

आज तुझे ख़त लिखने बैठी बहुत सोच समझ कर मैं
पर कागज़ कलम हाथ में लेकर वापस खो गयी मैं

कितनी बातें कहने को थी
जाने कहाँ गुम हो गयी सारी
कुछ याद न रहा मन को एक पल
खामोश रह गयी मैं

कागज़ के हर कोने पर तेरा नाम लिख दिया
जितना कुछ कहने को था उस नाम में सब कह दिया
हो सके तो मेरे इस ख़त का जवाब तुम लिख देना
कुछ न कहने को हो फिर भी अपना नाम तुम लिख देना

तेरे नाम से ही ज़िन्दगी चलती है, तेरे नाम की साँसे गिनती हूँ
तेरे एक ख़त से साँसे ये कुछ और दिन चल जाएगी

2 comments:

  1. Very nice .... Keep writing !

    Regards,
    Shantanu Padhye
    shantanu-padhye.blogspot.com

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  2. ati sundar ... hridaysparshi rachna...

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