आज तुझे ख़त लिखने बैठी बहुत सोच समझ कर मैं
पर कागज़ कलम हाथ में लेकर वापस खो गयी मैं
कितनी बातें कहने को थी
जाने कहाँ गुम हो गयी सारी
कुछ याद न रहा मन को एक पल
खामोश रह गयी मैं
कागज़ के हर कोने पर तेरा नाम लिख दिया
जितना कुछ कहने को था उस नाम में सब कह दिया
हो सके तो मेरे इस ख़त का जवाब तुम लिख देना
कुछ न कहने को हो फिर भी अपना नाम तुम लिख देना
तेरे नाम से ही ज़िन्दगी चलती है, तेरे नाम की साँसे गिनती हूँ
तेरे एक ख़त से साँसे ये कुछ और दिन चल जाएगी
Very nice .... Keep writing !
ReplyDeleteRegards,
Shantanu Padhye
shantanu-padhye.blogspot.com
ati sundar ... hridaysparshi rachna...
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