क्यों आते जाते कोई मेरे दिल का हाल पूछता है
अब तो आलम ये है कि हाल-ए-दिल भी अनजान मालूम होता है
बरसों से जो धड़कता आया उनकी एक आरज़ू पर
आज उसका एक पल और धड़कना बेसबब जान होता है
लोगों की हमने कभी फ़िक्र कहाँ करी थी
पर एक उन्हें ही मेरे सिवा ये सारा जहां नज़र आया है
भीड़ में मुस्कुराने को वो अपनी तन्हाई का नाम देते हैं
हमने तो खुद को एक वीराने रेगिस्तान में पाया है
तिल तिल कर संजोये थे जो सपने अपने आँगन में
आज उन्ही पर किसी को अपना घर बनाते पाया है
वो जानते थे की वो मेरी हर मन्नत में हैं वो शामिल
फिर भी उन्होंने किसी और को अपनी दुआ बनाया है
लोगों की हमने कभी फ़िक्र कहाँ करी थी
ReplyDeleteपर एक उन्हें ही मेरे सिवा ये सारा जहां नज़र आया है
शेर अच्छा लगा बहुत बहुत बधाई