Wednesday, August 4, 2010

बारिश की पहली बूँदें
महका गयी मेरा घर आँगन
खिल उठा मेरा तन मन
मिल गया धरती को नया जीवन

छमछम गिरती बारिश में
मिट्टी की गीली खुशबू ने
सब कुछ आज हसीं कर दिया
मेरे दिल में नया रस भर दिया

पौधों में हरियाली छाई
सुन्दर रंग रंगीली कलियाँ खिल आई
मोर बागों में नाचने लगे
जैसे अम्बर पे बादल छाने लगे 

नहीं समझ पाई मैं अब तक
कैसा है बारिश का जादू
भूल जाती हूँ सारे दुःख दर्द
मन पे नहीं रह पाता काबू

काश की ये बादल यूँही
जम कर सारे बरसे
धरती की प्यास बुझाये
लोगों में खुशहाली लाये 






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