Monday, August 9, 2010

कितना चाहा था न ऐसी भूल करे हम
जाने कैसे ये दिल्लगी कर दी
जो किसी और कि ज़िन्दगी से था जुड़ा
उसी से दिल लगाने कि गलती कर दी

अब दामन में आये हैं जो आंसू
तो आंसूओं को मुस्कुराना सिखा देंगे
आँखों में आंसू आ भी जाये तो
इन्हें पानी का नाम दे कर बहा देंगे

लोग कहते हैं मोहब्बत में दर्द मिलता है
मगर हम जानते हैं चंद लोगों को इश्क नसीब में मिलता है
ये दर्द भी मीठा जान पड़ता है
जब किसी अपने हम कदम से मिलता है

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