Tuesday, August 10, 2010

चुप रह कर भी कितना कुछ बोलती हैं
तेरी आँखें ही दिल के सारे राज़ खोलती हैं
कोई कहता है नाराज़ है तू मुझसे
तेरी आँखें सारी ख़ामोशी तोड़ती हैं


तेरी आँखों का सूनापन हो
या तेरे होंठो पर फीकी मुस्कान 
तेरी हर सांस में खालीपन
मैं हर पल महसूस करता हूँ

माना तुमको हमसे है शिकवे हजारों
पर रूठ कर चले न जाना तुम
पास रह कर सारी शिकायतें करना
हो न जाना कभी नज़रों से गुम

तुम कहती हो मुझे बेवफा तो वो ही सही
हमने वफ़ा हर उस कतरे से की है
जिसे कभी मेरे आँगन में
तेरे होने का एहसास था

2 comments:

  1. my god u r tooooooooooooooooooooooooooooooooo good.........................

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