Friday, August 20, 2010

आज सब बहुत धुन्दला नज़र आ रहा है
पता नहीं ये आंसू हैं या फिर बारिश का पानी

फीके पड़ रहे हैं तेरे वादे सारे
तू वाकई बदल गया है या है मुझे कोई भ्रम

जाने क्यों धुंधली पड़ गयी हैं सारी बातें
तेरी मेरी हसीन मुलाकातें

वक़्त ने कोई करवट ली है
या है ये पल दो पल का वेहम

और अगर कहीं किस्मत मेरी चंचल ही निकले
तेरे मुझसे किये सारे वादे झूठे ही निकले

तो आज उसी धुंद की तनहाइयों में खो जाना चाहती हूँ
तेरे प्यार के छल से बहुत दूर हो जाना चाहती हूँ

3 comments:

  1. touchy
    और अगर कहीं किस्मत मेरी चंचल ही निकले
    तेरे मुझसे किये सारे वादे झूठे ही निकले

    तो आज उसी धुंद की तनहाइयों में खो जाना चाहती हूँ
    तेरे प्यार के छल से बहुत दूर हो जाना चाहती हूँ

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  2. SAHI HAI
    tere vade pe jiye hum ye jana to jhoot jana,
    khushi se mar na jate gar eatbaar hota.

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  3. तो आज उसी धुंद की तनहाइयों में खो जाना चाहती हूँ
    तेरे प्यार के छल से बहुत दूर हो जाना चाहती हूँ.

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