कब से किसी अंजाने के ख्वाब सजाये बैठी हूँ
बिन देखे उसको दिल में बसाये बैठी हूँ
कैसा होगा वो ये जानती नहीं मैं
पर वो मिलेगा एक दिन ये मानती हूँ मैं
उसकी आवाज़ कैसी होगी ये जानती नहीं मैं
पर उसकी बातों में मेरी बातें होंगी शामिल
उसकी आँखों के रंग का कुछ पता नहीं मुझको
पर उसके ख्वाबों में मेरी सूरत रहेगी
ये नहीं जानती मैं वो कैसा दिखता होगा
पर जब वो दिखेगा तब और कुछ देखने की फुर्सत कहाँ होगी
कुछ पता नहीं वो कहाँ रहता होगा क्या करता होगा
बस इतना यकीन है वो अपनी बाहों में मुझे महफूज़ रखेगा
खुदा करे वो मेहरबान दिन जल्दी से आ जाये
जब ये अनजाना शख्स मेरी ज़िन्दगी बदल जाये
Vo aayega vo jaroor aayega,
ReplyDeleteaur kahega,
hat pagli itna naraz hoten hain kya.