Thursday, August 12, 2010

कितनी ही बातें करी थी हमने
वादे कितने करे थे एक दुसरे से
सारे आज फिर आँखों के सामने तैर गए
बरसों से रोक रखे थे जो आंसू पलकों पर आ कर ठहर गए

कभी ऐसा वक़्त भी आएगा ज़िन्दगी का
सोचा नहीं था तू इतना दूर चला जायेगा
मैं तनहा खड़ी रह जाऊँगी
मेरे सामने किसी और का तू हो जायेगा

आज जब बरसों के बाद मिला है तू
आंसू और ख़ुशी में एक तूफ़ान से छिड़ा है
कौन पहले बरसे कुछ समझ न आये
दोनों ने ही इस पल का सदियों इंतज़ार किया है

जी करता है एक आज बस कोई
तेरी मेरी मजबूरी न रहे
करे दिल खोल के बात हम
मेरे दिल की तेरे दिल से दूरी न रहे

कल फिर चले जाना है तुम को अजनबी रास्ते
आज जो साथ हो तो मेरे गमो को अपना सहारा दे जाओ
कौन जाने अब किस मोड़ पर मिलो तुम आगे
उस मोड़ तक सांसें लेने का बहाना दे जाओ

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