Saturday, August 7, 2010

Mera Bachpan

याद आ रहे हैं आज मुझे
बचपन के वो दिन
कितनी प्यारी बातें थी
कितने प्यारे प्यारे दिन

माँ अपने हाथों से खाना मुझे खिलाती थी
पापा रोज़ शाम को आ कर मुझे गले से लगाते थे
सबकी लाडली थी मैं घर में
छमछम पायल पहने आँगन में दौड़ लगाती

आज भी याद है मुझे लड़कपन की छोटी छोटी बातें
कैसे मेरे ज़िद करने पे दादाजी लहंगा लाते थे
दादी मुझे कहानियाँ सुनाती
बड़ीमम्मी मुझे गोद में ले कर लोरी गाती

वो हर बारिश के मौसम में
मैं और भाई कागज़ की नाव बनाते
और गलियों में बह रहे पानी में
नाव बहाने की रेस लगाते

आज भी याद करती हूँ मैं
लोग मुझसे मिलने आते
चीनी, सुम्मी, सोफ्टी जैसे
कितने ही नाम दे जाते

दूर चला गया है वो बचपन
पास हैं सिर्फ वो मीठी यादें
वो आँगन में बजती पायल की
धुंधली सी है एक परछाईं

3 comments:

  1. This is nt just a poem on childhood bt my actual experience of childhood....Thank You God for the world's bestest family

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  2. MUJH KO YAKEEN HAI SUCH KAHTI THI,
    JO BHI AMMI KAHTI THI,
    JAB MERE BACHPAN KE DIN THE CHAND MAIN PARIYA RAHTI THI.

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